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हवाई अड्डों पर निर्वस्त्र दिखाने वाले बॉडी स्कैनर

२० जनवरी २०१०

नाइजीरिया के 23 वर्षीय संदिग्ध आतंकवादी अब्दुलमुतल्लब ने दुनिया को एक अजीब धर्मसंकट में डाल दिया है. उस के कारण दुनिया भर के हवाई अड्डों पर अब ऐसी मशीनें लगने जा रही हैं, जो विमान यात्रियों को निर्वस्त्र दिखायेंगी.

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तस्वीर: AP

अमेरिका का जॉन एफ़ केनेडी हवाई अड्डा. हर स्त्री, पुरुष और बच्चे को कुछेक सेकंडों के लिए एक मशीन के सामने ठहरना पड़ता है. महिलाओं को बॉडी स्कैनर कहलाने वाली इस मशीन के सामने खड़ा होने में बडी शर्म और घबराहट महसूस होती है.

ये मशीनें, जो अब यूरोपीय संघ के देशों और भारत सहित दुनिय भर में लगेंगी, सुरक्षाजांच के समय हर यात्री को डिस्प्ले पर इस तरह दिखायेंगी, मानो उसने कोई कपड़े पहने ही नहीं है, बिल्कुल नंगा है. महिलाओं के लिए, विशेषकर अरब और मुस्लिम देशों की महिलाओं के लिए तो यह और भी आपत्तिजनक होगा.

एक्स-रे तकनीक

बॉडी स्कैनर या फ़ुल बॉडी स्कैनर कहलाने वाली इन मशीनों को तकनीकी दृष्टि से दो वर्गों में बांटा जा सकता है. एक वे, जो एक्स-रे किरणें पैदा करती हैं, और दूसरी वे, जो टेराहेर्त्स फ़्रीक्वेंसी वाली माइक्रोवेव तरंगों का उपयोग करती हैं.

एक्स रे किरणों वाले बॉडी स्कैनरों को सबसे अधिक अमेरिका में आजमाया जा रहा है. लेकिन उन में और मेडिकल एक्स रे मशीनों में एक बड़ा अंतर है. जर्मनी की फ्राउनहोफ़र सोसायटी के हाई फ्रीक्वेंसी और राडार तकनीक संस्थान के हेलमुट एसन बताते हैं

"ये एक्स रे मशीनें बहुत ही कम विकिरण के साथ काम करती हैं. वे हानिकारक बिल्कुल नहीं हैं. उनकी विकिरण मात्रा उससे भी कम होती है, जो एक सामान्य टेलीविज़न सेट का पिक्चर ट्यूब एक घंटे में पैदा करता है. उन से सचमुच ऐसी तस्वीरें बनती हैं, जो लोगों को निर्वस्त्र या नंगा दिखाती हैं".

टेरा हेर्त्स माइक्रोवेव तकनीक

मेडिकल एक्स रे मशीनों की अदृश्य किरणें त्वचा को भेद कर उतकों और हड्डियों तक पहुंचती हैं, जबकि एक्स रे बॉडी स्कैनर की अत्यंत क्षीण किरणें त्वचा पर से ही परावर्तित हो जाती हैं. इन मशीनों के दूसरे वर्ग में मेगा या गीगा नहीं बल्कि टेरा हेर्त्स फ्रीक्वेंसी वाली माइक्रोवेव तरंगों का उपयोग होता है. उनकी विशेषताएं सुनते हैं जर्मनी के विकिरण सुरक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो. रोल्फ़ मिशेल सेः

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हॉलैंड के एम्सटरडम हवाई अड्डे पर का बॉडी स्कैनर

"टेरा हेर्त्स तरंगें विद्युतचुंबकीय तरंगें हैं, लेकिन वे उतनी अधिक ऊर्जवान नहीं होतीं, जितनी एक्स रे किरणें होती हैं. वे दृश्यमान प्रकाश की फ्रीक्वेंसी से नीचे 300 गीगा हेर्त्स से लेकर तीन टेरा हेर्त्स के बीच होती हैं. इस फ्रीक्वेंसी बैंड का अब तक बहुत ही कम उपयोग हुआ है. यह बैंड एक तरफ़ मेडिकल और औद्योगिक लेज़र तथा दूसरी तरफ़ सैटेलाइट टेलीविज़न जैसी दूरसंचार फ्रीक्वेंसियों के बीच में पड़ता है. उसका तकनीकी और डॉक्टरी उपयोग इतना कम हुआ है कि शरीर पर उस के प्रभाव के बारे में हम बहुत कम जानते हैं".

कपड़े हैं, फिर भी निर्वस्त्र

टेरा हेर्त्स तरंगे भी सारे कपड़े भेद कर विमान यात्री को नंगा दिखा सकती हैं. एक्स रे किरणों के दीर्घकालिक प्रभाव तो मालूम हैं, लेकिन टेरा हेर्त्स माइक्रोवेव के दीर्घकालिक प्रभाव अज्ञात हैं. प्रो. मिशेल का मत है कि स्कैनिंग या स्क्रीनिंग के समय जो टेरा हेर्त्स विकिरण शरीर की त्वचा परावर्तित नहीं करेगी, वह त्वचा की ऊपरी परत द्वारा सोख लिया जायेगा और हो सकता है कि त्वचा की भीतरी कोषिकाओं और रक्त-केशिकाओं तक भी पहुंच जाये.

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एक्स-रे स्कैनरतस्वीर: AP

दीर्घकालिक प्रभाव अज्ञात हैं

अमेरिका में कहा जा रहा है कि टेरा हेर्त्स विकिरण में छिपी ऊर्जा मोबाइल फ़ोन से निकलने वाले विद्युतचुंबकीय विकिरण से भी दस हज़ार गुना कम होती है. उससे स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा होने की जो अधिकतम वार्षिक मात्रा है, उस तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को सवा लाख बार स्कैनर से हो कर गुज़रना होगा. लेकिन, जर्मन विकिरण सुरक्षा आयोग के प्रमुख प्रो. मिशेल ऐसा नहीं मानतेः

"हवाई अड्डों के अलवा बहुत से दूसरे लोग भी बॉडी स्कैनर का इस्तोमाल शुरू कर सकते हैं--बड़े-बड़े स्टोर, होटल, थियोटर, इत्यादि. यह संख्या और उसके कारण शरीर में जमा हो रहे विकिरण की मात्रा इतनी बढ़ सकती है कि हमें इससे जुड़े ख़तरों का ठीक ठीक पता होना चाहिये".

बॉडी स्कैनर कितने अचूक?

प्रश्न यह भी है कि बॉडी स्कैनर क्या हर तरह के हथियार और बम अचूक ढंग से पहचान और दिखा सकते हैं. अजकल के आतंकवादी तरल विस्फोटकों की इतनी कम मात्रा लेकर चलते हैं कि उसे कंडोम या इंजेक्शन के सीरिंज तक में छिपाया जा सकता है, जैसाकि संदिग्ध नाइजीरियाई आतंकवादी ने किया. फ्राउनहोफ़र हाई फ्रीक्वेंसी संस्थान के हेलमुट एसन को इस में शक हैः

"जो कुछ भी प्लास्टिक जैसा है, उसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल है. जिन स्कैनरों की बात चल रही है, वे इसे आधार मान कर बने हैं कि हमरी त्वचा, हमारे शरीर और किसी दूसरी वस्तु के विद्युतचुंबकीय गुणों के बीच काफ़ी अंतर है. यह दूसरी वस्तु जितनी ही ठोस होगी, उतनी ही आसानी से पकड़ में आयेगी. झीने प्लास्टिक ओर प्लास्टिक के विस्फोटकों के मामले में बात का बनना मुश्किल है".

बताया जाता है कि संदिग्ध नाइजीरियाई आतंकवादी जिस विस्फोटक के साथ विमान में चढ़ा था, वह तरल तो था ही, एक प्रकार की दवा भी था. उसे उसने अपने गुप्तंग के पास छिपा रखा था.

विस्फोटक सामग्री का पक्का सुराग दे सकने में कमियों के बावजूद सरकारें आदमी को निर्वस्त्र दिखाने वाले बॉडी स्कैनरों की खूबियों का ऐसा ढोल पीट रह हैं, मानो आतंकवाद से लड़ने की रामबाण दवा अब उन्हें मिल गयी है.

रिपोर्ट- राम यादव