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शॉर्टवेव से वेब तक

३० जुलाई २००९

45 साल पहले शॉर्टवेव रेडियो डॉयचे वेले की ख़बरों को सुनने का एकमात्र माध्यम हुआ करता था. मानसी गोपालकृष्णन बता रही हैं कि आज बग़ैर किसी परेशानी के घर बैठे कंप्यूटर पर जब मर्ज़ी चाहे कार्यक्रम सुने जा सकते हैं.

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तस्वीर: DW

अगर आप भी तकनीकी प्रगति से मोहब्बत करते हैं तो शायद इंटरनेट आपकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा होगा. और कंप्यूटर में ही नहीं, बल्कि मोबाइल फ़ोन भी किसी भी वक़्त आपको अपने पसंदीदा वेबसाइट पर ले जा सकता है जहां आप चंद क्षणों में मनचाही ख़बरों और विश्लेषणों को पढ सकते हैं. 45 सालों में भले ही जितनी तकनीकी प्रगति हुई हो, इस बात से तो शायद ही कोई इंकार करेगा कि पिछले पांच वर्षों में इंटरनेट और मोबाइल ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया है. और यह बात डॉयचे वेले की हिंदी सेवा के लिए भी सही है.

Sines Antenne TCA 3
शॉर्टवेव एंटेनातस्वीर: DW

डॉयचे वेले की हिंदी वेबसाइट को 1997 में लॉंच किया गया था लेकिन इसका कायाकल्प 2007 तक ही तैयार किया जा सका. भारत में लॉंच किया गया वेबसाइट जर्मनी से भारत और विश्व भर की ख़बर लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता है. जर्मनी से ख़बर देने का फ़ायदा यह है कि यूरोप और विश्व की ख़बरों पर डॉयचे वेले की ख़ास पकड़ है और कोशिश की जाती है कि भारत के ख़बरों को भी एक निष्पक्ष तरीके से पेश किया जाए. डॉयचे वेले की यही पहचान है, कि आपको यूरोप के दिल से दुनिया भर के बारे में सही जानकारी मिले जिसे आप अपनी सुविधा के मुताबिक जब चाहें पढ़ सकें. इंटरनेट का सबसे बड़ा फ़ायदा यह भी है कि हमें लगातार ईमेल और सामाजिक नेटवर्किंग साइट फेसबुक के ज़रिए हमारी वेबसाइट को पढ़ने वाले लोगों और श्रोताओं के सुझाव मिनटों में मिल जाते हैं.

तकनीक के साथ ख़बरों की रफ़्तार भी बढ़ गई है और श्रोताओं तक जल्द से जल्द ख़बरें पहुंचाने के लिए डॉयचे वेले की रेडियो प्रोडक्शन में भी काफी बदलाव आए हैं. 45 वर्ष पहले की टेप रिकॉर्डिंग को पीछे छोड़ अब डिजिटल रिकॉर्डिंग के ज़रिए ख़बरों के मिलते ही उन्हें इंटरनेट पर चढ़ा दिया जाता है और उन्हें कार्यक्रम में पेश किया जाता है. डॉयचे वेले रेडियो स्टेशन तकनीकी तौर पर दुनिया के बेहतरीन रेडियो स्टेशन्स में से है और इसका नतीजा श्रोताओं को हमारे कार्यक्रमों में और हमारी वेबसाइट पर ख़बरों के ज़रिए देखने को मिलता है.

तकनीक के साथ कार्यक्रमों को भी नया स्वरूप दिया गया है. हफ्ते के हर दिन साप्ताहिक कार्यक्रमों जैसे महिलाओं के लिए अंतरा, भारत और जर्मनी, जनता और जागरूकता, यूरोप के दिल से, रंग तरंग, विज्ञान के विषयों वाला कार्यक्रम खोज और युवाओं के लिए हैलो ज़िंदगी के ज़रिए हर तरह के लोगों के लिए और हर एक मुद्दे पर कार्यक्रम पेश किए जाते हैं. मुद्दों के साथ नई पीढ़ी का भी ध्यान रखते हुए डॉयचे वेले दुनिया भर के विषयों को ख़ास निष्पक्ष तरीके से पेश करने की कोशिश करता है. अब वेबसाइट से पॉडकास्ट के ज़रिए इन्हें कंप्यूटर पर डाउनलोड भी किया जा सकता है और फ़ुरसत में सुना जा सकता है.

Startseite der Deutschen Welle - Englisch

पिछले 45 सालों में विश्व में आए बदलावों का असर सब पर पड़ा है और मीडिया भी इससे बच नहीं पाई है. तकनीकी क्रांति तो है ही, साथ ही 1980 के दशक में साम्यवाद के पतन और शीतयुद्ध के अंत के साथ पूरे विश्व की तस्वीर में बदलाव आया है. दोनों विश्व युद्धों के दर्दनाक अनुभवों और परिणामों का भार ढ़ोते हुए जब 1964 में एर्न्स्ट शेफ़र ने डॉयचे वेले में पहली हिंदी सेवा की स्थापना की थी तो दुनिया में मुद्दे कुछ और ही थे. जहां साम्यवाद को एक समय में सबसे बड़ा दुश्मन माना जा रहा था वहीं आज आंतकवाद के ख़िलाफ एक नई जंग छिड़ी है, जिसमें डॉयचे वेले और इसी तरह की कई अन्य संस्थाएं ख़बरों और समाचारों के पेश करने के तरीके से अपना योगदान दे रहीं हैं.

मानसी गोपालकृष्णन