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लाखों रुपये में सौ साल पुराने बिस्किट

३ अक्टूबर २०११

अर्नेस्ट शेक्लेटन ने जब भूख से बिलबिलाते साथी को 100 साल पहले एक यात्रा के दौरान बिस्किट दिया तो उसने कहा था कि वह हजारों पाउंड यानी लाखों रूपये लेकर भी कभी यह बिस्किट किसी को नहीं देगा. अब यह बिस्किट बिक गया है.

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तस्वीर: AP/Stockholm University, Martin Jakobsson

गुरुवार को लंदन में ऐसे ही एक बिस्किट की नीलामी हुई जो करीब 100 साल पहले एंग्लो आयरिश अर्नेस्ट शेक्लेटन ने नीमरोड की यात्रा के दौरान दक्षिणी ध्रुव में इस्तेमाल किया था. 1907 से 1909 के बीच ध्रुवीय इलाकों की सैर करते वक्त शेक्लेटन और उनके सहयोगियों के पास इस तरह के हजारों बिस्किट भोजन के रूप में मौजूद थे.

कम कीमत पर बिके

नीलामी करने वाली एजेंसी क्रिस्टी ने इन बिस्किटों की कम से कम कीमत 1500 पाउंड यानी करीब एक लाख 13 हजार रुपये रखी थी. पर इन्हें कम कीमत पर ही बेचना पड़ा. नीलामीघर को जब पर्याप्त खरीदार नहीं मिले तो उन्हें 1250 पाउंड में ही बेच दिया गया. इसी तरह के शेक्लेटन के कुछ दूसरे अभियानों के दौरान इस्तेमाल हुए बिस्किटों को जब 2001 में नीलाम किया गया तो उनकी कीमत 7637 पाउंड लगी थी.

खासतौर से ध्रुवीय इलाकों की सैर के दौरान खाने के लिए बने इन बिस्किटों को ब्रिटिश कंपनी हंट्ले एंड पामर्स ने बनाया था. इसमें अनाज और दुग्ध प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है. ध्रुवीय प्रदेशों में गए शेक्लेटन और उनकी टीम दक्षिणी ध्रुव के 100 किलोमीटर करीब तक पहुंच गए थे. हालांकि बाद में उन्हें अपनी यात्रा के दौरान ध्रुवीय प्रदेश की मुश्किलों से ज्यादा भूख से जंग लड़नी पड़ी. वापसी में उनके पास खाना कम पड़ गया और उन्हें आधी खुराक पर ही गुजारा करना पडा.

एक जगह शेक्लेटन ने अपने साथी फ्रैंक वाइल्ड को अपने हिस्से से एक बिस्किट दिया जिसे वाइल्ड ने अपनी डायरी में दर्ज किया है, "हजारों पाउंड देकर भी शायद यह बिस्किट नहीं खरीदा जा सकता. "

नीलामी करने वाली एजेंसी क्रिस्टी के निदेशक निकोलस लैम्बर्न बताते हैं, "इन बिस्किटों को खास तरह से तैयार किया गया था जिससे कि खोजकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा मिले. हालांकि ये सबसे बेहतर थे ऐसा कहना मुश्किल होगा. इन्हें बनाने की विधि अलग तरह की थी जिससे कि प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा मिले सके. लेकिन उन लोगों ने विटामिन सी के महत्व को नहीं समझा, जाहिर है कि ये बिस्किट सबसे शानदार नहीं थे."

निकोलस लैम्बर्न का अनुमान था कि लोगों की इन बिस्किटों में काफी दिलचस्पी होगी जिसे एक शख्स ने नीमरोड अभियान के बेस के पास की एक झोंपड़ी से ढूंढ निकाला और अब इन्हें नीलाम किया जा रहा है. निकोलस ने कहा, "यह एक ऐसी चीज है जिसमें लोगों की दिलचस्पी है. कई संस्थाएं खासतौर से इसमें दिलचस्पी दिखा रही हैं. कई म्यूजियम ऐसे हैं जो इन्हें अपने यहां रखना चाहते हैं. इसके अलावा निजी खरीदार भी इस बिस्किट को हासिल करना चाहते हैं."

सर अर्नेस्ट शेक्लेटन

15 फरवरी 1874 को पैदा हुए अर्नेस्ट शेक्लेटन एक एंग्लो आयरिश खोजी थे. शेक्लेटन को एक दौर की महान हस्तियों में शुमार किया जाता है. पहली बार उन्होंने 1901 से 1904 के दौरान कैप्टेन रॉबर्ट फाल्कन स्कॉट की डिस्कवरी एक्सपेडिशन में हिस्सा लेकर ध्रुवीय इलाकों का दौरा किया. यहां से उन्हें स्वास्थ्य कारणों से जल्दी ही वापस लौटना पड़ गया. इसके बाद वग नीमरोड एक्सपेडिशन के साथ अपनी निजी नाकामियों को भुलाने के लिए 2007 में अंटार्कटिका वापस गए. जनवरी 1909 में शेक्लेटन और उनके तीन साथी दक्षिणी हिस्से में गए और दक्षिणी ध्रुव के सबसे नजदीक जाने का रिकॉर्ड कायम किया. तब ये लोग दक्षिणी ध्रुव के 190 किलोमीटर तक पहुंच गए थे. उनकी इस कामयाबी के लिए किंग एडवर्ड सप्तम ने लौटने पर उन्हें नाइट की उपाधि से नवाजा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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