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माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा स्काइप को

१० मई २०११

इंटरनेट पर मुफ्त फोन से लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग तक की सेवा देने वाला स्काइप को सबसे बड़ी कंप्यूटर कपंनी माइक्रोसॉफ्ट खरीद रही है है. माइक्रोसॉफ्ट उसे घाटों सहित साढ़े आठ अरब डॉलर में हासिल करेगा.

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Der Schriftzug "Hallo, anybody there ?" in der Eingabezeile eines Skype-Chat-Programms ist am 03.12.2006 auf einem Computermonitor zu sehen. Foto: Steffen Kugler +++(c) dpa - Report+++
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

कंपनी ने बयान में इस समझौते की पुष्टि की है. माइक्रोसॉफ्ट 8.5 अरब डॉलर में स्काइप को अपना बना रहा है और यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है.

स्काइप तेजी से मोबाइल और टेलीफोन का विकल्प बनता जा रहा है और इंटरनेट पर चैट करने वाले ज्यादातर लोगों के पास स्काइप अकाउंट जरूर होता है. माइक्रोसॉफ्ट को पहले ही गूगल से फोन सेवा में बड़ी चुनौती मिल रही है और वह इस पर एक और झटका नहीं खाना चाहता. इसी वजह से उसने स्काइप को खरीद लेने का फैसला किया है, जिस पर इस वक्त कर्ज भी है.

दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने हाल में गूगल और एप्पल से प्रतिस्पर्धा को देखते हुए इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर ज्यादा ध्यान देने का फैसला किया है. लेकिन दोनों कंपनियों को जानने समझने वाले सूत्र का कहना है कि हो सकता है कि मंगलवार को ही सौदे पर दस्तखत कर दिया जाए.

Microsoft founder Bill Gates speaks during a session at the World Economic Forum in Davos, Switzerland on Friday, Jan. 28, 2011. In a nod to the post-crisis atmosphere, the World Economic Forum shifts its attention on Friday to austerity measures and priorities for improving the economy. (Foto:Michel Euler/AP/dapd)
तस्वीर: dapd

सबसे बड़ा सौदा

36 साल पुरानी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के लिए यह सबसे बड़ी डील होगी. हालांकि पिछले आठ साल में इसका मुनाफा लगभग दोगुना हो गया है लेकिन बाजार में इसकी साख को बड़ा झटका लगा है, जहां एप्पल और गूगल सबसे बड़े ब्रांड बन कर उभरे हैं. फोन और इंटरनेट में अब माइक्रोसॉफ्ट का दबदबा नहीं रह गया है, गूगल उससे आगे निकल चुका है, जबकि टेलीफोनी में एप्पल ने सबको पीछे छोड़ दिया है.

स्काइप की खासियत को देखते हुए फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी इस पर डोरे डाल रही थीं लेकिन उनका सौदा पक्का नहीं हो पाया. गूगल उसके साथ साझीदारी करना चाहता था. उन कंपनियों के साथ स्काइप का सौदा तीन से चार अरब डॉलर के बीच हो रहा था, जो माइक्रोसॉफ्ट के साथ हुए सौदे से बहुत छोटा था.

क्या है स्काइप

स्काइप मूल रूप से इंटरनेट चैट सेवा है. लेकिन इसकी ऑडियो और वीडियो क्वालिटी दूसरी सेवाओं से बहुत बेहतर है. इसके अलावा यह इंटरनेट फोन भी उपलब्ध कराता है, जिसमें कुछ कॉल तो फ्री होते हैं. बाकी के लिए मामूली पैसे देने पड़ते हैं. खास तौर पर स्काइप से अंतरराष्ट्रीय कॉल बहुत मामूली दर पर संभव है, जिसकी वजह से विदेशों में रहने वाले लोगों के बीच यह बेहद लोकप्रिय है.

Screenshot Skype, 08.04.2011, 10:45 MEZ, http://www.skype.com/intl/en/home *** Achtung: Nur zur Berichterstattung über diese Website verwenden! ***
तस्वीर: Skype.com

स्काइप की वीडियो कॉल भी बेहद अच्छी मानी जाती है. दूर बैठे किसी साथी के साथ स्काइप की वीडियो चैटिंग खूब मशहूर है. अब तो कई कंपनियां अपने वीडियो कांफ्रेंसिंग भी स्काइप पर ही कर लेती हैं. जिन इलाकों में टेलीविजन चैनलों के कैमरे नहीं पहुंच पाते, वहां से वे लोग स्काइप से ही लाइव जानकारी भी इकट्ठा करने लगे हैं.

माइक्रोसॉफ्ट में भी वीडियो चैट की सुविधा है लेकिन स्मार्ट फोन में यह काम नहीं करता. दूसरी तरफ स्काइप आईफोन और दूसरे स्मार्टफोनों में अच्छा काम करता है. गूगल ने हाल में अपने जीटॉक के लिए फोन पर भी वीडियो चैट की सुविधा दी है.

स्काइप की टीम

स्काइप का मुख्यालय लक्जमबर्ग में है और इसके ज्यादातर सॉफ्टवेयर एस्टोनिया के तालिन शहर में विकसित किए गए हैं. कंपनी 2003 में शुरू हुई और दो साल बाद ई-बे ने इसे खरीद लिया. पिछले साल ई-बे ने 860 करोड़ डॉलर के राजस्व का एलान किया लेकिन कुल मिला कर कंपनी को नुकसान सहना पड़ा. उसके बाद इसके शेयरों की बिक्री शुरू हो गई. पिछले साल स्काइप के करीब साढ़े 12 करोड़ यूजर थे, जिनमें से आठ करोड़ से ज्यादा लोग सस्ते दर पर फोन की सेवा का फायदा उठा रहे थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ईशा भाटिया

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