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डेविस, पाकिस्तान और जासूसी का राज

१६ मार्च २०११

रेमंड डेविस कौन है. अमेरिका ने अपने इस नागरिक को बचाने के लिए इतना जोर क्यों लगाया. डेविस के मुद्दे पर पाकिस्तानी एजेंसियां भी क्यों संभल संभल कर बोलती रही. दरअसल ये पूरा मामला जासूसी की रहस्यमयी दांवों से भरा है.

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तस्वीर: AP

38 साल का रेमंड डेविस अमेरिकी स्पेशल फोर्स के जवान रह चुका है. 2003 में डेविस ने अमेरिकी सेना छोड़ी. उसके बाद डेविस निजी सुरक्षा फर्म हाइपेरियोन एलएलसी के लिए काम करने लगा. ऐसी रिपोर्टें है कि यह फर्म अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए काम करती है. रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास और हाइपेरियोन एलएलसी के बीच करार है. इसी करार के तहत डेविस पाकिस्तान भेजा गया. लेकिन अमेरिकी दूतावास और सरकार इन दावों की पुष्टि नहीं करते हैं.

हाइपेरियोन एलएलसी की वेबसाइट इंटरनेट पर है. बेवसाइट में फर्म का पता फ्लोरिडा बताया गया है. लेकिन कुछ पत्रकार जब फ्लोरिडा के पते पर पहुंचे तो वहां सिर्फ एक खाली दफ्तर मिला.

Flash Galerie Demonstration in Pakistan
तस्वीर: AP

पाकिस्तानी जांचकर्ताओं का दावा है कि डेविस एक जासूस है. उनके मुताबिक डेविस पाकिस्तान में लोकल ड्राइविंग लाइसेंस और अलग अलग नंबर प्लेटों का इस्तेमाल कर घूमता रहा. विदेशी नागरिकों को कई बार दूसरे इलाकों में जाने के लिए स्थानीय प्रशासन की अनुमति लेनी होती है. लेकिन डेविस ने स्थानीय प्रशासन को कभी अपनी यात्राओं के बारे में सूचित नहीं किया. पुलिस का कहना है कि उन्हें डेविस के ठिकानों से जासूसी के उपकरण मिले. हालांकि अमेरिका डेविस को जासूस बताने से इनकार करता है.

पिछले हफ्ते ही अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट छापी कि डेविस को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के इरादों की भनक लग चुकी थी. इसी की गहराई में घुसने की कोशिश में वह लाहौर गया. लाहौर में डेविस और उस पर शक जताने वाले के बीच जासूसी का खेल चलने लगा. आखिरकार 26 जनवरी को डेविस ने पीछा करने वाले दो लोगों की हत्या कर दी. ऐसी रिपोर्टें हैं कि मारे गए लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए ठेके पर काम करते थे.

डेविस ने आत्मरक्षा में हमला करने का दावा किया जबकि पंजाब पुलिस का आरोप है कि डेविस ने आत्मरक्षा में गोलियां नहीं चलाई. परिस्थितियों और सबूतों के आधार पर पुलिस ने यह दावा किया. लेकिन मारे गए दोनों लोगों के बारे में ज्यादा जानकारी देने से भी पाकिस्तानी पुलिस बचती रही.

अमेरिकी दूतावास के बदलते बयानों ने भी संदेह को और पुख्ता किया. वारदात के अगले ही 27 जनवरी को अमेरिकी दूतावास ने कहा कि राजनयिक हैं. तीन फरवरी को कहा गया है कि वह प्रशासनिक और तकनीकी विभाग से जुड़े हुए हैं. इसके बाद जब अदालत में मुकदमा चलने लगा तो अमेरिकी दूतावास डेविस को राजनयिक साबित कर ही नहीं सका. अदालत के मुताबिक एक भी ऐसा सबूत नहीं दिया गया जिससे यह साबित होता कि डेविस अमेरिकी राजनयिक है. अब डेविस की रिहाई हो चुकी है, लेकिन पाकिस्तान में उसने क्या किया, यह अब भी रहस्य बना हुआ है.

रिपोर्टें हैं कि डेविस को 2.34 मिलियन डॉलर (10 करोड़ रुपये) के ब्लड मनी पर छोड़ा गया है. मारे गए एक युवक के परिवारवालों के वकील राजा इरशाद ने इस रकम की जानकारी दी. अमेरिका के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि डेविस को छोड़ा गया है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या इसके लिए कोई पैसा दिया गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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