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"आप गुरू द्रोण और मैं एकलव्य"

११ अगस्त २००९

डॉयचे वेले की हिंदी सेवा के श्रोता, पाठक और यूज़र भारत के अलावा अन्य देशों में भी हैं. वे पत्रों, ईमेल और टेलिफ़ोन के ज़रिए हमारे संपर्क में रहते हैं. पैंतालीसवीं वर्षगांठ पर आभा मोंढ़े ने चुने हैं उनमें से कुछ के अनुभव

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तस्वीर: Liesegang/DW

दुनिया भर में श्रोता हमारे कार्यक्रम सुनते हैं. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सउदी अरब, दुबई, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और कई अन्य देश. इनमें से कुछ श्रोता बहुत पहले से ही हमसे जुड़े हुए थे, कुछ इंटरनेट और पॉडकास्टिंग के ज़रिये हाल ही में हमसे जुड़े हैं. डॉयचे वेले के हिन्दी प्रसारण के 45 सालों पर इन्हीं श्रोताओं में से कुछ के अनुभव

सुरेश अग्रवाल,

पत्रकार, उड़ीसा


आपको गुरू द्रोण माना और मैं एकलव्य रहा हूं

"मैं डॉयचे वेले का 1974 से सहयात्री हूं . जब मैंने डॉयचे वेले सुनना शुरू किया था तब याज्ञसेनी पोपट , तिलकराज चोपड़ा, सुषमा जी भी थीं राम यादव अब भी हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि डॉयचे वेले हिन्दी के कारण मेरी हिन्दी इतनी समृद्ध हुई है कि उड़िया भाषी होते हुए भी मैं यहां हिन्दी में पत्रकारिता करता हूं और यहां के हिन्दी अख़बार का ज़िला संवाददाता हूं. कई हिन्दी टीवी चैनलों और अख़बारों के लिये काम कर चुका हूं. दूर बैठे मैंने आपको गुरू द्रोण माना है और मैं एकलव्य रहा हूं. मैं चाहता हूं कि आप मुझे और मेरे जैसे दूसरे सक्रिय और पुराने श्रोताओं को एक बार बॉन आने का आमंत्रण ज़रुर दें. "


रफीउल्लाह मंदोखैल,

बलूचिस्तान, पाकिस्तान

" हम हिन्दी कार्यक्रम तो सुनते हैं, बहुत साल से सुन रहे हैं. लेकिन बदकिस्मती से हिन्दी लिख नहीं पाते और इसीलिए हम आपको हिन्दी में ईमेल नहीं कर सकते. आपके सभी कार्यक्रम लाजवाब हैं बहुत जानकारी देने वाले होते हैं."

साजिद हसन अहमद,

मुबारकपुर, आज़मगढ़, भारत

"इस इलाके में आपका कार्यक्रम सुनने वालों में मैं सबसे बूढ़ा व्यक्ति हूं. काफ़ी समय से सुन रहा हूं आपका हिन्दी कार्यक्रम. उस समय से जब कार्यक्रम दोपहर में आता था. हिंदी सेवा का कार्यक्रम बहुत अच्छा होता है."


सोमा चौधरी सरकार,

(26 साल की गृहिणी)

अध्यक्ष, महिला श्रोता संघ, पश्चिम बंगाल


दो साल से ही सुन रही हूं

"अचानक एक दिन रेडियो फ़्रीक्वेंसी की सुई घुमाते घुमाते डॉयचे वेले हिंदी प्रसारण सुनाई दे गया. सुनना शुरू किया तो अच्छा लगने लगा. अभी दो ही साल हुए सुनते सुनते. शादी करके पश्चिम बंगाल में आ गए. यहां सब बंगाली बोलते हैं तो हिन्दी सुनने का मन किया. हिन्दी से जुड़ी रही डॉयचे वेले के ज़रिये महिलाओं के बारे में जो कार्यक्रम आप देते हैं वो सब बहुत अच्छा लगता है."


प्रभात कुमार सिंह,

(58 साल, बीमा एजेंट)

मिर्ज़ापुर, उत्तरप्रदेश, भारत


इंटरनेट पर कार्यक्रम बहुत अच्छे

"हम आज कल आपके कार्यक्रम और समाचार इंटरनेट पर पढ़ रहे हैं. आप जो इंटरनेट पर जानकारी देते हैं वो लाजवाब होती है. इतने सारे विषयों पर इतनी सारी जानकारी. रेडियो और इंटरनेट पर कार्यक्रम बहुत अच्छे हैं. कभी रेडियो पर सुनने का वक्त़ नहीं मिलता तो इंटरनेट पर चले जाते हैं."


अर्धेन्दु मुखर्जी,

नई दिल्ली, भारत


यादों के झरोखे से

"डॉयचे वेले के साथ इंटरव्यू के दौरान मैंने दो जुलाई को ही कहा था कि 15 अगस्त को डॉयचे वेले की हिन्दी सेवा को 45 साल होने वाले हैं मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है. लेकिन इस बार पैंतालीस साल के मौक़े पर निकली पुस्तिका कुछ बड़ी होनी चाहिये. छब्बीस जून को जर्मन दूतावास में रेडियो लेने के लिये गया था वहां पुस्तिका में लिखा हुआ था 45 इयर्स इन इंडिया तब मैं सोच रहा था कि डॉयचे वेले को भी 45 साल होने वाले हैं. कितनी अच्छी बात है भारत का स्वतंत्रता दिवस और डॉयचे वेले की भी सालगिरह. बहुत बधाई."