पानी के टैंकरों के भरोसे भारत का सिलिकॉन वैली बेंगलुरु
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु शहर पानी के भयंकर संकट से गुजर रहा है. हाल यह है कि लोगों को रोजमर्रा के काम के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है.
टैंकर के ड्राइवर की कहानी
बेंगलुरु के बसवराज पानी के टैंकर के ड्राइवर हैं. उन्हें हर रोज सुबह साढ़े छह बजे घर छोड़ देना होता है ताकि वह पर्याप्त पानी इकट्ठा कर सकें और अपने ग्राहकों तक पहुंचा सकें.
आबादी के लिए नहीं भरपूर पानी
बेंगलुरु बीते कुछ दशक में भारत का सिलिकॉन वैली बन गया है. इसने लाखों आईटी पेशेवरों और दुनिया की सबसे बड़ी आईटी और वित्तीय कंपनियों को आकर्षित किया है, लेकिन अब पानी की किल्लत से लोग तंग आ चुके हैं.
पानी का संकट और भीषण गर्मी
बेंगलुरु में गहराता जलसंकट वहां रहने वाले करीब 1.4 करोड़ लोगों के जीवन को खासा प्रभावित कर रहा है. इस बार जल संकट ही नहीं, लोग गर्मी से भी परेशान हैं.
बसवराज के ग्राहक
22 साल के बसवराज हर रोज एक मानव निर्मित हौज से पानी भरते हैं. इस हौज में पानी भरने के लिए चार बोरवेलों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद बसवराज आसपास के चार से पांच अपार्टमेंट्स में रहने वाले लोगों को पानी की सप्लाई करते हैं.
घट रहा है जलस्तर
इस हौज के मालिक नंदीश बताते हैं कि पहले यहां करीब 40 टैंकर पानी लेने के लिए आते थे लेकिन अब 15-20 ही आते हैं. उन्होंने बताया कि बोरवेल से अब पानी कम आ रहा है.
तेजी से बढ़ता शहर और पर्यावरण पर असर
बेंगलुरु, जिसे कभी अपनी बेहतर जलवायु के लिए "गार्डन सिटी" और "पेंशनर्स पैराडाइज" कहा जाता था, उसे तेजी से होते विकास के लिए पर्यावरण की भारी कीमत चुकानी पड़ी है.
घटती हरियाली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के एक शोध के मुताबिक पिछले चार दशकों में शहर ने 79 प्रतिशत जल निकाय और 88 प्रतिशत ग्नीन कवर खो दिया है, जबकि कंक्रीट से ढके क्षेत्रों में 11 गुना वृद्धि हुई है.
बढ़ गए दाम
शहर में अभी गर्मी चरम पर पहुंची भी नहीं है लेकिन पानी के टैंकर के सप्लायर ग्राहकों से दोगुनी कीमत वसूलने लगे. इसके बाद राज्य सरकार ने टैंकर सप्लायरों पर सख्ती करते हुए 1200 रुपये प्रति टैंकर दाम लेने का आदेश दिया.
कावेरी के भरोसे कर्नाटक
शहर में पानी की सप्लाई का जिम्मा बेंगलुरु वॉटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) पर है. बीडब्ल्यूएसएसबी ही कावेरी नदी के बेसिन से पानी निकालकर देती है. कावेरी नदी कर्नाटक के तालाकावेरी से निकलती है और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
वेस्ट वॉटर की भी डिमांड
60 साल की डेजी, बसवराज के घर के करीब रहती हैं और उनके घर के पास एक बोरवेल है जिसका पानी स्थानीय लोगों को मुफ्त में दिया जाता है. पानी को पीने के लिए शुद्ध किया जाता है और अपशिष्ट जल को नाली में बहा दिया जाता है. डेजी कहती हैं कि हमें बोरवेल के मालिक से लड़ना पड़ता है कि वह हमें अपशिष्ट जल दे दें ताकि हम बर्तन और कपड़े धो सकें.