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आईपीएल यानी इंडियन प्रॉफ़िट लीग!

सचिन गौड़२९ मार्च २०१०

भारत में सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट और मनोरंजन का पसंदीदा ज़रिया है बॉलीवुड. और जब दोनों का मिलन हो रहा हो तो धूम और पैसों की बरसात होनी तो तय ही है. आईपीएल लीग में खिलाड़ियों, कंपनियों, मालिकों के वारे न्यारे हो रहे हैं.

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तस्वीर: AP

भले ही क्रिकेट को परंपरागत स्वरूप में चाहने वाले आईपीएल को महज़ ‘ग्लैमर इवेंट' या ‘सर्कस' कह कर ख़ारिज करें लेकिन सच तो यह है कि आईपीएल का बुखार डेढ़ महीने के लिए भारत और भारत से बाहर भी लोगों को अपनी गिरफ़्त में लेने लगा है.

आईपीएल के पहले 14 मैचों में ही इसे टीवी पर देखने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ कर 10 करोड़ से ज़्यादा हो गई है. आईपीएल पहला ऐसा खेल आयोजन बन गया है जो यूट्यूब पर भी देखा सकता है यानी दर्शकों की संख्या और बढ़ी.

Bollywoodschauspielerin Shilpa Shetty mit Cricketspieler
तस्वीर: UNI

‘ब्रैंड फ़िनेन्स' कंपनी की मानें तो आईपीएल की क़ीमत तीसरे साल में ही आसमान छू रही है. आईपीएल ब्रैंड की क़ीमत 4 अरब डॉलर से भी ज़्यादा है यानी क़रीब 18 हज़ार करोड़ रूपये. अपने तीसरे साल में ही आईपीएल खेल की दुनिया में छठा सबसे क़ीमती इवेंट बन गया है. बीसीसीआई को साल 2010 में होने वाला मुनाफ़ा बढ़ कर 700 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है जो पिछले साल से 25 फ़ीसदी ज़्यादा है.

आईपीएल से कुछ ही पहले शुरुआत हुई थी इंडियन क्रिकेट लीग की लेकिन उस पर बीसीसीआई और आईसीसी की मुहर न लगी थी. आयोजन सफल नहीं रहा..खिलाड़ी बाग़ी कहलाए. मगर आईपीएल में ताक़त है बीसीसीआई की..तड़का बॉलीवुड का और तजुर्बा खिलाड़ियों का.

क्रिकेट की दुनिया के बड़े नाम..और उन्हें ख़रीदने, उत्साह बढ़ाने के लिए शाह रुख़ ख़ान, प्रीटी ज़िंटा, शिल्पा शेट्टी, जूही चावला, दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ़ और लिस्ट ख़त्म नहीं होती. इससे बात नहीं बनी तो चीयर लीडर्स भी नाचती संगीत पर थिरकती नज़र आती हैं. दर्शक मैदान से दूर कैसे रह पाए.

आईपीएल टीम मालिकों के लिए कमाई का मुख्य ज़रिया स्पॉन्सरशिप और प्रमोशन है. लोकप्रिय टीमों से पैसा बनाने की कोशिश इस हद तक है कि खिलाड़ियों के कपड़ों, उनके जूतों, हेलमेट, बैटिंग ग्लव्स, पैड तक बिकाऊ हैं. सिर्फ़ खिलाड़ियों के चेहरे ही बचे हैं.

Indian Premier League Finale Auftritt Akon
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आईपीएल मैनेजमेंट स्पॉन्सरशिप, लाइसेंसिंग और प्रसारण अधिकार के समझौते करने में जुटा है. रियल एस्टेट में भारत की बड़ी कंपनी डीएलएफ़ ने आईपीएल का हेडलाइन स्पॉन्सर बनने के लिए पांच करोड़ डॉलर चुकाए हैं. जापान की सोनी एंटरटेनमेंट वर्ल्ड स्पोर्ट ग्रुप के साथ अगले दस साल के लिए आईपीएल के प्रसारण अधिकार ख़रीदने के लिए एक अरब डॉलर से ज़्यादा की क़ीमत दे चुकी है.

आईपीएल मैनेजमेंट और गूगल कंपनी में आईपीएल मैचों के ऑनलाइन प्रसारण के लिए समझौता हुआ जिसमें यूट्यूब पर अगले दो साल तक मैचों का प्रसारण किया जाएगा. आईपीएल और गूगल स्पॉन्सरशिप और विज्ञापन से मिलने वाले पैसे को बांट लेंगे.

पहले सीज़न में मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेन्जर्स बैंगलोर सबसे महंगी टीमों में आंकी गई. क़रीब 440 करोड़ रुपये में ख़रीदी गई दोनों टीमें. लेकिन इस बार कोच्ची और पुणे की टीमों के लिए लगने वाली बोली ने तो सबकी नज़रें आईपीएल पर टिका दी. पुणे के लिए सहारा ने 1700 करोड़ रुपये दिए तो कोच्ची के लिए रान्देवू ग्रुप 1530 करोड़ रुपये से ज़्यादा की क़ीमत चुकाने को तैयार था. खिलाड़ियों को लाखों करोडों रुपये में ख़रीदा जा रहा है.

टीमों के मालिक अपनी कंपनियों के प्रचार करने का मौक़ा भी नहीं छोड़ रहे हैं. रॉयल चैलेन्जर्स बैंगलोर के मालिक विजय माल्या अपनी टीम के नाम के ज़रिए रॉयल चैलेंज व्हिस्की का नाम भी पेश कर रहे हैं जबकि डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद अपने अख़बार डेक्कन क्रोनिकल को फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश में है.

टीमों के मालिकों को कितना मुनाफ़ा हो रहा है इस पर अभी मतभेद है. कुछ रिपोर्टों में कहा जाता है कि किंग्स इलेवन को छोड़ कर सब टीमें मुनाफ़े में आ गई हैं जबकि ऐसी भी रिपोर्टें हैं जिसमें सिर्फ़ चार टीमों के फ़ायदे में होने की बात कही जाती है.

लेकिन मालिकों, खिलाड़ियों, कंपनियों को होने वाले फ़ायदे के बीच यह बहस भी हो रही है कि कहीं आईपीएल एक बुलबुला तो नहीं जो जल्द ही फूटेगा. परंपरागत क्रिकेट को नुक़सान पहुंचने की आशंका तो विशेषज्ञ जता ही रहे हैं..लेकिन आईपीएल में चौकों, छक्कों और ग्लैमर की धूम में अभी ये बातें अनसुनी ही हो रही हैं.