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परमाणु हथियारों में बड़ी कटौती पर सहमति

२८ मार्च २०१०

अमेरिका और रूस अपने परमाणु हथियारों की संख्या में बड़ी कटौती करेंगे. इस बारे में नई संधि को दोनों देशों के राष्ट्रपति ने हरी झंडी दे दी है. अब संधि को मंजूरी के लिए दोनों देशों की संसद में पेश किया जाएगा.

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मेदवेदेव और ओबामातस्वीर: AP

अमेरिका और रूस के बीच लगभग दो दशकों में परमाणु हथियारों की संख्या में पहली बड़ी कटौती संधि पर सहमति की जानकारी ओबामा ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदव के साथ टेलीफोन पर अपनी बातचीत के बाद दी. ओबामा ने कहा कि यह समझौता दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त एक अधिक सुरक्षित विश्व की ओर आगे ले जाएगा. उन्होंने कहा, " आज हमने अपने बच्चों के लिए एक अधिक सुरक्षित भविष्य का निर्माण करते हुए, बीसवीं सदी की इस विरासत को पीछे छोड़ने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण क़दम आगे बढ़ाया है."

ओबामा की इस घोषणा के समय उनके साथ अन्य अधिकारियों के अलावा विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स भी मौजूद थे. ओबामा और मेदवेदेव संधि पर 8 अप्रैल को प्राग में हस्ताक्षर करेंगे.

पिछले साल दिसंबर में समाप्त हुई 1991 की सामरिक हथियार कटौती संधि (स्टार्ट) का स्थान लेने वाले इस दस वर्षीय समझौते के तहत दोनों देश अपने सामरिक परमाणु हथियारों में एक तिहाई की कटौती करेंगे. दोनों में से हर देश को अपने परमाणु बम अगले 7 वर्षों के दौरान फ़िलहाल स्वीकृत 2,200 की संख्या से घटाकर 1550 पर लाना होगा. इन बमों को मिनटों में अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकने वाली मिसाइलों और प्रक्षेपकों की संख्या भी लगभग आधी करने की शर्त रखी गई है. संधि के तहत इन कटौतियों की पूरी जांच और निगरानी के प्रावधान भी तय किए गए हैं.

बेशक इन कटौतियों के बाद भी शीतयुद्ध के काल के इन दो विरोधियों के पास भारी संख्या में ये विनाशक हथियार बच रहेंगे. इसी लिए ओबामा ने इस सहमति को एक कदम का नाम दिया है. परमाणु हथियारों की इस गैर जरूरी मात्रा की ओर संकेत करते हुए विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा, " शीतयुद्ध के समापन के बाद लंबा समय बीत जाने पर आज भी दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक परमाणु हथियार अमेरिका और रूस के पास हैं. परमाणु प्रसार और आतंकवाद के जिन दो सबसे बड़े ख़तरों से आज हमारा सामना है, उनसे अपनी और अपने मित्रों की रक्षा करने के लिए हमें इतने विशाल हथियार भंडारों की ज़रूरत नहीं है."

संधि का रूस की संसद और अमेरिकी सीनेट द्वारा अनुमोदन किया जाना होगा. सीनेट में अनुमोदन के लिए दो तिहाई यानी 67 वोटों की जरूरत होगी. हालांकि सीनेट की विदेश संबंध समिति के वरिष्ठ रिपब्लिकन सदस्य रिचर्ड लूगर ने शुक्रवार की घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन कई प्रमुख रिपब्लिकनों ने संधि के अमेरिका की मिसाइल रक्षा-प्रणाली पर पड़ सकने वाले असर पर चिंता व्यक्त की है. रिपब्लिकनों के वोट जुटाना ओबामा सरकार के लिए अब तक एक समस्या रही है. सबसे अधिक हाल के स्वास्थ्य सेवा सुधार विधेयक पर ऐसा देखा गया.

जो भी हो, यह समझौता ओबामा के लिए विदेश नीति की एक बड़ी सफलता समझा जाएगा. ओबामा ने कहा है कि संधि के जरिए अमेरिका और रूस ने अपने नेतृत्व से अन्य देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है. हिलेरी क्लिंटन ने इस सहमति को अमेरिका और रूस के संबंधों में एक नई शुरुआत की दिशा में एक अहम कदम बताया है.

रिपोर्टः गुलशन मधुर, वॉशिंगटन

संपादनः ए कुमार