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दूसरी तिमाही में भारत की रफ़्तार 7.9 प्रतिशत

१ दिसम्बर २००९

भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में 7.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है. इस ख़बर से उद्योग जगत ख़ुश है लेकिन जानकारों की हिदायत है कि सरकार जल्दबाज़ी में प्रोत्साहन पैकेजों के मामले में क़दम पीछे न हटाए.

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आज भी खेती से तय होती है अर्थव्यवस्था की रफ़्तारतस्वीर: AP

भले ही दुबई में कर्ज़ के बादल छाए हों, लेकिन भारतीय शेयर बाज़ार अर्थव्यवस्था में तेज़ी की ख़बर से बेहद खुश हैं. पिछले 15 महीनों में यह भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे अधिक वृद्धि है. योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि महंगाई की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, और न ही सरकार आर्थिक प्रोत्साहन उपायों को रोकगी.

भारत के मुख्य सांख्यिकिविद् प्रणव सेन का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2009-2010 की तीसरी यानी अगली तिमाही में इतनी बढ़त हासिल नहीं होगी क्योंकि इस बार फ़सलें अच्छी नहीं हुई हैं. इसका असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर हो सकता है. लेकिन फिर भी तीसरी तिमाही में 7.9 प्रतिशत वृद्धि दर से 2009-2010 में आर्थिक विकास में इज़ाफ़ा होगा. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का भी यही मानना है. वह कहते हैं, " दोनों तिमाहियों को एक साथ लिया जाए तो विकास दर 7 प्रतिशत रहने की संभावना है. लेकिन इस वक़्त भविष्यवाणी करना ठीक नहीं है. मैं तीसरी तिमाही का इंतज़ार करूंगा."

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जुलाई से लेकर सितंबर तक कृषि उत्पादों में 0.7 प्रतिशत की बढ़त हुई है. साथ ही सरकार के ख़र्च भी बढ़े हैं जिसका प्रभाव आर्थिक विकास दर में देखने को मिल रहा है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि राहत पैकेजों को रोकने से पहले यह देखना होगा कि इसका आर्थिक विकास पर बुरा असर न पड़े.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए कुमार