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एटमी रिएक्टर में ''छेड़छाड़'' की जांच

२९ नवम्बर २००९

कर्नाटक स्थित काईगा परमाणु केंद्र में किसी ने पीने के पानी के कूलर में ट्रिटियम मिलाकर उसे प्रदूषित कर दिया. इस पानी को पीकर 55 कर्मचारी रेडियोधर्मी विकिरण का शिकार हो गए. हालांकि उनकी हालत सामान्य बताई गई है.

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फ्रांस का एक एटमी ऊर्जा संयंत्रतस्वीर: AP

पिछले साल 26 नवम्बर को मुंबई में हुए हमलों की पहली बरसी के मद्देनज़र देश के सभी परमाणु संयंत्रों पर हाई एलर्ट होने के बावजूद कर्नाटक-स्थित काईगा परमाणु केंद्र में किसी ने पीने के पानी के कूलर में ट्रिटियम मिलाकर उसे प्रदूषित कर दिया. इस पानी को पीकर पचपन कर्मचारी रेडियोधर्मी विकिरण का शिकार हो गए और उनके शरीर में ट्रिटियम की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गयी.

इनमें से चार को अस्पताल में भर्ती किया गया जहाँ इलाज के बाद तीन को छुट्टी दे दी गयी. एक कर्मचारी अभी भी अस्पताल में है. ट्रिटियम हाइड्रोजन का एक आइसोटोप है और यह पानी में आसानी से घुल जाता है. इसके कारण शरीर के सेल प्रभावित हो सकते हैं और कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है. लेकिन यह पेशाब के ज़रिये स्वयं शरीर से निकल जाता है.

Seebeben Indien Atomkraftwerk überschwemmt
एटमी संयंत्रों की सुरक्षा के सवालतस्वीर: AP

केंद्रीय विज्ञान एवं टेक्नोलोजी राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने इसे गंभीर घटना बताते हुए कहा है कि इस बात की जांच करनी पड़ेगी कि शरारत करने वाले व्यक्ति को इतनी आसानी से वहां पहुँचने में सफलता कैसे मिल गयी. क्या वह व्यक्ति प्रयोगशाला में काम करता है? चौहान ने यह भी कहा कि इस बात का भी पता लगाना पड़ेगा कि उस व्यक्ति ने ऐसा क्यों किया. भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोडकर ने आश्वस्त किया है कि कईगा परमाणु केंद्र बिलकुल सुरक्षित है और वहां से किसी प्रकार का विकिरण नहीं फ़ैल रहा है. अन्य सभी प्रणालियाँ भी सामान्य रूप से काम रही हैं. काकोडकर का कहना है कि इस मामले की तह तक जाना होगा और दोषियों की शिनाख्त करके उन्हें सज़ा देनी होगी.

केंद्रीय विज्ञान एवं टेक्नोलोजी राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान के बयान से ऐसा नहीं लगता कि वह इस निष्कर्ष पर पहुँच गए हैं कि काईगा परमाणु केंद्र में पानी को प्रदूषित करने वाला कोई बाहरी नहीं बल्कि अन्दर का ही आदमी है. लेकिन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस. के. जैन का कहना है कि शरारत करने वाला व्यक्ति अन्दर का ही है. जैन का कहना है कि राज्य प्रशासन के अलावा खुफिया एजेंसियों को भी तत्काल सूचना दे दी गयी थी और इस समय गुप्तचर ब्यूरो की एक टीम केंद्र में मौजूद है और इस घटना की जांच कर रही है.

जांच का नतीजा जो भी आये, इस घटना ने भारतीय परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा पर सवालिया निशान तो लगा ही दिया है.

रिपोर्ट: कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादन: एस जोशी