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''दुबई संकट पर हायतौबा न मचाएं''

२८ नवम्बर २००९

भारत ने कहा है कि दुबई के ऋण संकट का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई हिलाने वाला असर नहीं पड़ेगा. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मामले पर पहले से ही हायतौबा मचाने की ज़रूरत नहीं.

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ऊंची अट्टालिकाओं का शहर दुबईतस्वीर: AP

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस मामले के असर का अभी पूरा आकलन किया जाना बाकी है, लिहाज़ा पहले से ही हायतौबा मचाने की ज़रूरत नहीं है. उधर केरल में भी दुबई के हालात को लेकर चिंताएं हैं जहां से सबसे ज़्यादा लोग खाड़ी देशों में हैं. इस बीच अबूधाबी ने दुबई को कर्ज़ के संकट से कुछ निजात दिलाने का वादा किया है.

चंडीगढ़ में एक समारोह में भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि दुबई के क़र्ज़ संकट में पहले ये देखा जाना चाहिए कि ये छोटी रकम है और दूसरा दुबई के वित्तीय सिस्टम में भारत के वित्तीय तंत्र का एक्सपोज़र सीमित ही है.

Mumbai The Southern Capital
खाड़ी की छींक और केरल का ज़ुकामतस्वीर: Luke Jaworski

प्रणब ने कहा कि इसका कुछ असर शेयर बाज़ार ज़रूर पड़ेगा. जैसा कि शुक्रवार को देखा भी गया था. उन्होंने कहा कि खाड़ी में भारत के निर्यात पर भी इस संकट का कोई ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा.

प्रणब मुखर्जी ने माना कि दुबई में बेरोज़गारी बढ़ सकती है.और विदेशी मुद्रा निकल सकती है. दुबई में काम करने वाले भारतीयों पर इस आर्थिक बदहाली का कोई असर पड़ेगा. इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि ये बात भी देखी जानी है लेकिन लगता नहीं कि किसी को कोई फ़र्क पड़ने वाला है. दुबई में साढ़े 42 फ़ीसदी आबादी भारतीयों की है.

भारत के दक्षिणी राज्य केरल में भी दुबई संकट से हलचल देखी जा रही है. केरल के ज़्यादातर अनिवासी भारतीय दुबई में काम करते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था में उनका भी योगदान है. सत्तर के दशक से उद्योग और कृषि में खस्ताहाल के बाद अनिवासी केरलाइट्स का पैसा राज्य के लिए बड़ा मददगार साबित होता रहा है. कहते हैं कि खाड़ी को छींक आती है तो केरल को ज़ुकाम हो जाता है. ये बात भले ही मज़ाक में कही जाती है लेकिन इससे खाड़ी पर केरल की इकॉनमी की बड़ी निर्भरता का भी पता चलता है. केरल सरकार ने कहा कि मौजूदा संकट भूमंडलीय आर्थिक मंदी का ही एक पहलू नज़र आता है और इससे चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं. केरल के वित्त मंत्री और जाने माने अर्थशास्त्री टी एम थॉमस इसाक ने कहा कि केरल के निर्माण सेक्टर में दुबई की कंपनियों का पैसा लगा है. उन्होंने कहा कि दुबई वर्ल्ड को पैसा मुहैया कराने वाली वित्तीय संस्थाओं पर इस संकट का क्या असर पड़ेगा ये भी समझना होगा.

Burj Al Arab Hotel in Dubai
चमक दमक का संकटतस्वीर: AP

इस बीच भारत के ओवरसीज़ मामलों के मंत्री वी रवि ने कहा कि दुबई के कर्ज़ संकट से भारतीयों के वहां से पलायन का ख़तरा नहीं है. उन्होंने बताआ कि भले ही क़रीब एक लाख कामगार भारत लौट आए थे लेकिन कई अब दुबई लौट भी गए हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में दुबई के कोंसुल जनरल और दूतावास से उनकी बात हुई है और चिंता की कोई बात नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि दुबई में काम करने वाले भारतीय वहीं रहेंगें और उनके हितों की वहां रक्षा की जाएगी.

उधर दुबई को उसके खस्ताहाल से निकालने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की रईस राजधानी अबू धाबी आगे आई है. अबू धाबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एक एक मामले को देखकर और चुनकर दुबई की मदद की जाएगी. इसका अर्थ ये नहीं कि अबू धाबी उसके सारे क़र्ज़ चुकाने में मदद करेगा.

बुधवार को ये मामला तब सुलग गया था जब अपनी रौनकदार और दमक भरी भड़कीली ज़िंदगी और दुनिया की सबसे लंबी इमारत वाला दुबई शहर रातों रात कर्ज़ न लौटा पाने की छटपटाहट से बुरी तरह कराह उठा. निवेशक इससे भड़क उठे और दुनिया के शेयर बाज़ार पलटी खाने लगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस जोशी

संपादन: उज्जवल भट्टाचार्य