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चांद पर पानी है, ढेर सारा पानी है

१४ नवम्बर २००९

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चांद की सतह पर काफी सारा पानी मिला है. नासा के रॉकेटों को चांद की सतह पर टकराया गया और टक्कर से निकली धूल में 'एक नहीं बल्कि बहुत सारी बाल्टियों को भरने लायक पानी' मिला है.

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पानी भी मिल ही गयातस्वीर: AP

'हां, हमें पानी मिला है और थोड़ा नहीं, काफी सारा पानी मिला है. 20 से तीस मीटर गहरे गड्ढे में कई बाल्टियों को भरने लायक़ पानी चांद पर मौजूद है.'

नासा के एंथनी कोलाप्रेट की खुशी की सीमा नहीं. नासा के सारे वैज्ञानिक दुनिया तक इस बात को पहुंचाना चाहते हैं कि चांद पर पानी का मतलब है कि रात को हमारे आसमानों में घूम रहा चांद, हमारी कविताओं और गीतों में बसा चांद वाकई रहस्यमयी है. और पानी के मिलने से गुत्थी और ही उलझती जा रही है. लेकिन साइंसदां इस उलझी हुई गुत्थी से भी ख़ुश हैं.

NASA will wieder zum Mond
नासा के रॉकेट का एक चित्र, जिसे चांद पर टकराया गया, और जिसके टक्कर ने पानी को खोज निकालातस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb

नासा ने 9 अक्तूबर को अपने विशेष चांद मिशन लूनर क्रेटर ऑब्ज़रवेशन ऐंड सेंसिंग सैटेलाइट एलक्रॉस शुरू किया. इससे पहले भारत के चंद्रयान मिशन ने भी चांद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी जिसके बाद नासा ने चांद में ख़ास पानी की खोज के लिए दो रॉकेट भेजे. नासा के वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे थे कि चांद में सूरज की किरणों से छिपे इलाक़ों में और पानी मिल सके.

वैज्ञानिकों ने इसी तरह के एक क्रेटर यानी गड्ढे सेबस को अपनी रॉकेटों का निशाना बनाया. इन रॉकेटों को वहां टकरा दिया. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह पानी अरबों साल पुराना है तो इससे सौरमंडल के बारे में जानकारी मिल सकती है. और अगर चांद में पानी की मात्रा ज़्यादा है तो इसे अंतरिक्ष यात्रियों की मदद में लगाया जा सकता है और अंतरिक्ष मिशनों के लिए पानी को ईंधन में बदला जा सकता है.

Flash-Galerie 40 Jahre Mondlandung
चांद पर क़दम 40 साल पहले पड़े थे और अब जाकर यह भी पता लग गया है कि वहां भी जीवन की उम्मीद है.तस्वीर: AP

वैज्ञानिकों ने रॉकेटों के टक्कर से उड़ी धूल की बड़ी बारीकी से स्पेक्ट्रोग्राफ से तहक़ीक़ात की. स्पेक्ट्रेग्राफ धूल में रोशनी का विश्लेषण करता है जिससे धूल में मौजूद तत्वों और केमिकल पदार्थों का पता लगाया जा सकता है. कोलाप्रेट ने कहा कि चांद में कितना पानी कहां कहां है, यह मिशन में पाए नतीजों के विस्तृत विश्लेषण से ही बताया जा सकेगा.

कोलाप्रेट ने यह भी कहा कि पानी के साथ कुछ और रहस्यमयी पदार्थों की उपस्थिति को साबित किया जा सका है. चांद के छाया वाले इलाक़ों में बहुत ठंड होती है और यहां अरबों साल पुराने पदार्थ सुरक्षित रहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए जमाल