नहीं लिया चीन से यूरेनियमः पाकिस्तान
१३ नवम्बर २००९पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख को आधारहीन बताया है. इसमें लगे आरोपों को ख़ारिज करते हुए प्रवक्ता ने कहा, "इस समय जानबूझ कर पाकिस्तान और चीन के संबंधों को ख़राब करने के लिए ऐसा किया जा रहा है."
वॉशिंगटन पोस्ट में पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल क़दीर ख़ान के हवाले से कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान को साधारण बम के ब्लू प्रिंट्स भी भेजे थे जिससे पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में तेज़ी आई. अख़बार कहता है कि परमाणु प्रसार की यह सोची समझी गतिविध 1976 में चीनी नेता माओ त्सेतुंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़ीकार अली भुट्टो के बीच एक गुप्त एटमी डील का नतीजा थी.
पाकिस्तानी एटमी कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले अब्दुल क़दीर ख़ान ने 11 पन्नों के एक दस्तावेज़ में लिखा, "चीनी मंत्री ने मेरे निजी अनुरोध पर हमें परमाणु हथियार बनाने के लिए 50 किलोग्राम यूरेनियम दिया था."
ख़ान ने यह दस्तावेज़ 2004 में अपनी नज़रबंदी के बाद पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए बनाया था. वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि उसे ये दस्तावेज़ फ़ाइनेन्शियल टाइम्स के पूर्व पत्रकार साइमन हेंडरसन से मिले हैं जिनकी ख़ान के साथ बातचीत रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों का सिरे से खंडन करते हुए कहा है कि यह भारत से ध्यान हटाने के लिए किया गया है. प्रवक्ता ने कहा, "यह भारत के परमाणु कार्यक्रम में कुछ देशों की तरफ़ से दी जा रही ख़ुली और गोपनीय मदद से ध्यान हटाने की कोशिश है." पाकिस्तानी प्रवक्ता के मुताबिक़ भारत को यह मदद शुरुआत से ही दी जा रही है लेकिन हाल में यह तेज़ हो गई है. उन्होंने आगे कहा, "पाकिस्तान और चीन ने हमेशा अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं पूरी की हैं और परमाणु अप्रसार संधि के नियमों का भी पालन किया है."
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एशिया के दौरे पर हैं. उन्हें चीन भी जाना है. उम्मीद है कि परमाणु प्रसार के इस मुद्दे को वह चीनी नेताओं के साथ उठाएंगे. वॉशिंगटन पोस्ट ने दस्तावेज़ों के हवाले से लिखा है कि क़दीर ख़ान परमाणु प्रसार के कथित मास्टरमाइंड हैं और यह नेटवर्क ईरान और लीबिया तक फैला है. पाकिस्तान के उच्च सैन्य और सरकारी अधिकारी भी इस नेटवर्क का हिस्सा बताए जाते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः ए कुमार