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आर्य और द्रविड़ एक ही थे !

२५ सितम्बर २००९

भारत में आर्य और द्रविड़ विवाद व्यर्थ है. उत्तर और दक्षिण भारतीय एक ही पूर्वजों की संतानें हैं. भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों के एक साझे आनुवंशिक अध्ययन के परिणाम इतिहास को नए सिरे लिखने का कारण बन सकते हैं.

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तस्वीर: AP

उत्तर और दक्षिण भारतीयों के बीच बताई जाने वाली आर्य-अनार्य असमानता अब नए शोध के अनुसार कोई सच्ची आनुवंशिक असमानता नहीं है. अमेरिका में हार्वर्ड के विशेषज्ञों और भारत के विश्लेलेषकों ने भारत की प्राचीन जनसंख्या के जीनों के अध्ययन के बाद पाया कि सभी भारतीयों के बीच एक अनुवांशिक संबंध है.

इस शोध से जुड़े सीसीएमबी यानी सेंटर फॉर सेल्यूलर ऐंड मोलेक्यूलर बायॉलॉजी (कोषिका और आणविक जीवविज्ञान केंद्र) के पूर्व निदेशक और इस अध्ययन के सह-लेखक लालजी सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेस में बताया कि शोध के नतीजे के बाद इतिहास को दोबारा लिखने की ज़रूरत पड़ सकती है. उत्तर और दक्षिण भारतीयों के बीच कोई अंतर नहीं रहा है.

सीसीएमबी के वरिष्ठ विश्लेषक कुमारसमय थंगरंजन का मानना है कि आर्य और द्रविड़ सिद्धांतों के पीछे कोई सच्चाई नहीं है. वे प्राचीन भारतीयों के उत्तर और दक्षिण में बसने के सैकड़ों या हज़ारों साल बाद भारत आए थे. इस शोध में भारत के 13 राज्यों के 25 विभिन्न जाति-समूहों से लिए गए 132 व्यक्तियों के जीनोमों में मिले 500,000 आनुवंशिक मार्करों का विश्लेषण किया गया.

Karte Andaman und Nicobar Inseln im Indischen Ozean
उत्तर और दक्षिण भारतीय पूर्वजों का मिश्रणतस्वीर: DW

इन सभी लोगों को पारंपरिक रूप से छह अलग अलग भाषा-परिवारों, ऊंची-नीची जातियों और आदिवासी समूहों से लिया गया था. उनके बीच साझे आनुवांशिक संबंधों से साबित होता है कि भारतीय समाज की संरचना में जातियां अपने पहले के कबीलों-जैसे समुदायों से बनी थीं. उस द़ौरान जातियों की उत्पत्ति जनजातियों और आदिवासी समूहों से हुई थी. जातियों और कबीलों अथवा आदिवासियों के बीच अंतर नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके बीच के जीनों की समानता यह बताती है कि दोनों अलग नहीं थे.

इस शोध में सीसीएमबी सहित हार्वड मेडिकल स्कूल, हार्वड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ तथा एमआईटी के विशेषज्ञों ने भाग लिया. इस अध्ययन के अनुसार वर्तमान भारतीय जनसंख्या असल में प्राचीन कालीन उत्तरी और दक्षिणी भारत का मिश्रण है. इस मिश्रण में उत्तर भारतीय पूर्वजों (एन्सेंस्ट्रल नॉर्थ इंडियन) और दक्षिण भारतीय पूर्वजों (एन्सेंस्ट्रल साउथ इंडियन) का योगदान रहा है.

पहली बस्तियां आज से 65,000 साल पहले अंडमान द्वीप और दक्षिण भारत में लगभग एक ही समय बसी थीं. बाद में 40,000 साल पहले प्राचीन उत्तर भारतीयों के आने से उनकी जनसंख्या बढ़ गई. कालान्तर में प्राचीन उत्तर और दक्षिण भारतीयों के आपस में मेल से एक मिश्रित आबादी बनी. आनुवंशिक दृष्टि से वर्तमान भारतीय इसी आबादी के वंशज हैं.

Die indische Rote Armee
भारतः कई आदिवासीतस्वीर: AP

अध्ययन यह भी बताने में मदद करता है कि भारतीयों में जो आनुवांशिक बिमारियां मिलती हैं वे दुनिया के अन्य लोगों से अलग क्यों हैं.

लालजी सिंह कहते हैं कि 70 प्रतिशत भारतीयों में जो आनुवांशिक विकार हैं, इस शोध से यह जानने में मदद मिल सकती है कि ऐसे विकार जनसंख्या विशेष तक ही क्यों सीमित हैं. उदाहरण के लिए पारसी महिलाओं में स्तन कैंसर, तिरुपति और चित्तूर के निवासियों में स्नायविक दोष और मध्य भारत की जनजातियों में रक्ताल्पता की बीमारी ज्यादा क्यों होती है. उनके कारणों को इस शोध के ज़रिए बेहतर ढ़ंग से समझा जा सकता है.

शोधकर्त्ता अब इस बात की खोज कर रहे हैं कि यूरेशियाई यानि यूरोपीय-एशियाई निवासियों की उत्पत्ति क्या प्राचीन उत्तर भारतीयों से हुई है. उनके अनुसार प्राचीन उत्तर भारतीय पश्चिमी यूरेशियाइयों से जुड़ें है. लेकिन प्राचीन दक्षिण भारतीयों में दुनिया भर में किसी भी जनसंख्या से समानता नहीं पाई गई. हालांकि शोधकत्ताओं ने यह भी कहा कि अभी तक इस बात के पक्के सबूत नहीं हैं कि भारतीय पहले यूरोप की ओर गए थे या फिर यूरोप के लोग पहले भारत आए थे.

रिर्पोटः सरिता झा

संपादनः राम यादव