1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

छोटी उम्र में युगरत्ना की बड़ी बातें

२३ सितम्बर २००९

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को भारत की 13 साल की युगरत्ना ने संबोधित किया है. युगरत्ना ने धरती को बचाने का आह्वान करते हुए कहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस नीतियां बनाई जानी चाहिएं.

https://p.dw.com/p/Jmkb
तरुमित्र एनजीओ से जुड़ी हैं युगरत्नातस्वीर: AP

डॉयचे वेले के साथ बातचीत में युगरत्ना ने कहा कि 2012 तक गाड़ियों की संख्या दुगुनी होने वाली है और आशंका है कि तीस प्रतिशत जीव प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी. युगरत्ना के मुताबिक़ धरती एक बहुत ही बुरे दौर से गुज़र रही है और इस तरह के प्रयत्न होने चाहिएं कि यह बंद हो.

Yugratna Srivastava Vereinte Nationen Klimagipfel
तस्वीर: UNEP

युगरत्ना फ़िलहाल लखनऊ में रहती हैं लेकिन मूल रूप से वह मुज़्ज़फ़रनगर की रहने वाली हैं. वह तरुमित्र नामक एक एनजीओ से भी जुड़ी हुई हैं और यहीं से पर्यावरण की रक्षा के लिए उनके मिशन की शुरुआत हुई थी. युगरत्ना कहती हैं कि जलवायु परिवर्तन को रोक पाना तभी मुमकिन है जब राजनीतिज्ञ, बच्चे और युवा एक साथ मिलकर काम करें. इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी.

युगरत्ना संयुक्त राष्ट्र में बच्चों और भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. रेडियो डॉयचे वेले के ज़रिए युगरत्ना सबका अभिवादन करती हैं और कहती हैं कि धरती की स्थिति बदल चुकी है.

युगरत्ना का मानना है कि सरकारी नीतियों में युवा और बच्चों के मतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. नेताओं के लिए उनका संदेश हैं राजनीतिज्ञ जो भी निर्णय लेते हैं, जो भी नीतियां बनाते हैं, उनमें बच्चों और युवाओं की आवाज़ को साथ लेना ज़रूरी है, क्योंकि इन निर्णयों और योजनाओं के प्रभाव बच्चों और युवा पर ही पड़ेंगे.

Yugratna Srivastava vor den Vereinten Nationen Klimagipfel
यूएन में युगरत्नातस्वीर: UNEP

ज़ाहिर है स्कूल के बाद अपना समय युगरत्ना ज़्यादातर पेड़ों के बचाव और जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करती हैं. वह कहती हैं, "भारत में मेरी पीढ़ी के लिए जलवायु का मतलब है वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी, ख़ाने- पानी की कमी और बीमारियों का फैलाव."

युगरत्ना तरुमित्र नाम के एक ग़ैर सरकारी संगठन से जुड़ी हैं . इस संगठन की कोशिश रहती है कि पेड़ों को कटने से बचाया जा सके और जहां मुमकिन हो वहां सड़कों के किनारे पौधे लगाए जाएं. 2008 में युगरत्ना ने नॉर्वे में एक कॉन्फ़्रेंस में हिस्सा लिया और वहां बोर्ड के लिए चुनी जाने वाली पहली भारतीय बनी.

रिपोर्ट- अंबालिका मिश्रा, न्यू यॉर्क

संपादन- एम गोपालकृष्णन