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जापान में संसद भंग, मध्यावधि चुनाव

१३ जुलाई २००९

जापान के प्रधानमंत्री तारो आसो ने सोमवार को अचानक देश की संसद को भंग कर अगले महीने चुनाव कराने की घोषणा कर डाली. उनकी पार्टी राजधानी टोक्यो के स्थानीय चुनाव में बुरी तरह हार गई है.

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जापान के प्रधानमंत्री तारो आसोतस्वीर: AP

आसो 21 जुलाई को जापान संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को भंग करेंगे. इससे पहले उनकी पार्टी राजधानी टोक्यो शहर के महानगरीय चुनावों में हार गई थी.

जापान के प्रधानमंत्री तारो आसो ने संसद भंग कर अगले महीने चुनाव कराने की घोषणा की है. इससे पहले आसो की लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी को रविवार के टोक्यो महानगरीय चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा. आसो ने बताया कि अगले चुनाव 30 अगस्त को होंगे.

जानकारों का मानना है कि जापान की जनता आसो की पार्टी की नीतियों से ख़ुश नहीं है. उनकी पार्टी पर घोटालों का भी आरोप है. आसो अपने कार्यकाल के दौरान जापान में मंदी के प्रभाव को सीमित नहीं कर पाए. आसो के कार्यकाल में जापान में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे घातक मंदी का दौर आया.

जानकर मानते हैं कि अगर तुंरत चुनाव होते हैं तो आसो की एलडीपी बुरी तरह से हारेगी. पहली बार विपक्ष की डीपीजे यानी डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ़ जापान जीतती नज़र आ रही है. पिछले 50 सालों से जापान में एलडीपी का राज रहा है. एलडीपी पहली बार 1955 में सत्ता में आई थी.

टोक्यो महानगरीय चुनाव में आसो की एलडीपी को 38 और उनके मोर्चे की साझेदार न्यू कोमितो को 23 सीटें मिली. दोनों पार्टियां 64 के बहुमत से तीन सीटें पीछे रह गईं.

आसो ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा नहीं देंगे. माना जाता है कि आसो ने अगले महीने चुनाव करने की घोषणा अपनी पार्टी के अंदर से इस्तीफ़े की मांग को दबाने के लिए भी की.

आसो सितम्बर 2008 में प्रधानमंत्री बनने से पहले जापान के विदेश मंत्री भी रह चुके हैं. जानकार मानते हैं कि जापान के अगले प्रधानमंत्री के सामने काफी बड़ी चुनौतियां होंगी. इन चुनैतियों में सबसे बड़ी जापान की अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने की होगी. जापान इस वक़्त घटती जनसंख्या और बढ़ती बेरोज़गारी जैसी समस्याओ से भी जूझ रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/पी चौधरी

संपादनः राम यादव