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रहस्यों की गुत्थी है अंटार्कटिका में दबी पुरानी झील

१२ अक्टूबर २०११

अंटार्कटिका की गहराई में एक पुरानी झील है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह इलाका धरती को बर्फ में जमने से बचा रहा है. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि पृथ्वी के भविष्य को बचाने के लिए वहां प्रयोग किए जाने बेहद जरूरी हो चले हैं.

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तस्वीर: AP

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का मानना है कि अंटार्कटिका की बर्फ और उसकी नीचे दबी झील धरती की गर्मी बचाए हुए है. नवंबर में वहां खुदाई का काम शुरू होगा. तीन किलोमीटर से ज्यादा गहराई तक जाकर पुरानी झील के पानी और रेत के नमूने लिए जाएंगे. डरहम यूनिवर्सिटी के ग्लेशियल जिओलॉजिस्ट माइक बेंटली कहते हैं, "अगर हम पता कर सके कि बर्फ की परत कब टूटी या खिसकी. इससे पता लग सकेगा कि भविष्य में पश्चिमी अंटार्कटिक की परिस्थितियां कैसी होंगी."

वैज्ञानिकों के मुताबिक झील को ढकने वाली बर्फ की परत ने धरती की भूगर्भीय गर्मी को जमने से रोका है. पश्चिम अंटार्कटिका धरती के सबसे मुश्किल स्थानों में गिना जाता है. प्रयोग के पहले चरण में 1.09 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा.

अंटार्कटिका में कुछ इस तरह के जीव मिल रहे हैं.
तस्वीर: AP

बीते कई सालों से वैज्ञानिक मानते आ रहे हैं कि अंटार्कटिका के नीचे अंधेरे माहौल में नए किस्म के जीव पनप रहे हैं. वहां का तापमान माइनस 25 डिग्री है. ब्रिटिश वैज्ञानिक दल को उम्मीद है कि उन्हें नए किस्म के वायरस, बैक्टीरिया और एक कोशिका वाले यूकारयोट्स मिल सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो पता चल सकेगा कि धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, कैसे जीव एक कोशिका से असंख्य कोशिकाओं वाले बन गए.

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के साइंस कोऑर्डिनेटर डेविड पीयर्स कहते हैं, "अगर हमें कुछ नहीं भी मिला तो यह खोज अहम रहेगी. इसके बाद हम कह सकते हैं कि किस हद के बाद धरती में जीवन नहीं है."

हालांकि कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि अनछुई जगहों पर ड्रिलिंग कर ऐसे प्रयोग करने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा. ब्रिटिश टीम का कहना है कि अंतरिक्ष विज्ञान वाली तकनीक और ड्रिल का सहारा लिया जाएगा. अंटार्कटिका के गर्भ में झांकने वालों में ब्रिटेन अकेला नहीं है. 1990 के सैटेलाइट डाटा से पता चला था कि बर्फ के नीचे कई झीलें दबी हुई हैं. तब से ही रूस, अमेरिका और ब्रिटेन गहराई में जाकर झीलों तक पहुंचना चाह रहे हैं.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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